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ये अ॒ग्नयो॒ न शोशु॑चन्निधा॒ना द्विर्यत्त्रिर्म॒रुतो॑ वावृ॒धन्त॑। अ॒रे॒णवो॑ हिर॒ण्यया॑स एषां सा॒कं नृ॒म्णैः पौंस्ये॑भिश्च भूवन् ॥२॥

English Transliteration

ye agnayo na śośucann idhānā dvir yat trir maruto vāvṛdhanta | areṇavo hiraṇyayāsa eṣāṁ sākaṁ nṛmṇaiḥ pauṁsyebhiś ca bhūvan ||

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Pad Path

ये। अ॒ग्नयः॑। न। शोशु॑चन्। इ॒धा॒नाः। द्विः। यत्। त्रिः। म॒रुतः॑। व॒वृ॒धन्त॑। अ॒रे॒णवः॑। हि॒र॒ण्यया॑सः। ए॒षा॒म्। सा॒कम्। नृ॒म्णैः। पौंस्ये॑भिः। च॒। भू॒व॒न् ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:66» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:7» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन कैसे हों, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (ये) जो यत्न करते हुए (हिरण्ययासः) बिजुली के तेज से बढ़े हुए (अरेणवः) धूलि जिनमें नहीं वे (मरुतः) पवनों के समान (नृम्णैः) धनों और (पौंस्येभिः) पुरुषार्थ बलों के (साकम्) साथ (भूवन्) हों (एषाम्) इनके सम्बन्ध में (यत्) जो (द्विः) दोवार वा (त्रिः) तीनवार (वावृधन्त) निरन्तर बढ़ते हैं (च) और (इधानाः) प्रकाशमान (अग्नयः) अग्नियों के (न) समान (शोशुचन्) निरन्तर शुद्ध करते, वे भाग्यशाली होते हैं ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो अग्नि के समान पवित्र हुए पवित्र करनेवाले, वृद्धि को प्राप्त हुए, बढ़ानेवाले, पवन के समान बलिष्ठ और चक्रवर्त्ती राजा के समान लक्ष्मी के साथ वर्त्तमान विद्वान् हों, उन्हीं को तुम सेवो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! ये यतमाना हिरण्ययासोऽरेणवो मरुत इव नृम्णैः पौंस्येभिः साकं भूवन्नेषां सम्बन्धे यद्ये द्विस्त्रिर्वा वावृधन्त चेधाना अग्नयो न शोशुचंस्ते भाग्यशालिनो भूवन् ॥२॥

Word-Meaning: - (ये) (अग्नयः) पावकाः (न) इव (शोशुचन्) शोधयन्ति (इधानाः) प्रकाशमानाः (द्विः) द्विवारम् (यत्) (त्रिः) त्रिवारम् (मरुतः) वायव इव (वावृधन्त) वर्धन्ते। अत्र तुजादीनामित्यभ्यासदैर्घ्यम्। (अरेणवः) रेणुरहिताः (हिरण्ययासः) हिरण्येन विद्युत्तेजसा प्रचुराः (एषाम्) (साकम्) सह (नृम्णैः) धनैः (पौंस्येभिः) बलैः (च) (भूवन्) भवेयुः ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये पावकवत्पवित्राः पवित्रकरा वर्धमाना वर्धयितारो वायुवद्बलिष्ठाश्चक्रवर्त्तिनृपवच्छ्रिया सह वर्त्तमाना विद्वांसस्स्युस्तानेव यूयं भजत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे अग्नीप्रमाणे पवित्र व पवित्र करणारे, वृद्धी पावलेले व वृद्धी करविणारे, वायूप्रमाणे बलवान व चक्रवर्ती राजाप्रमाणे धनवान, विद्वान असतील तर त्यांची तुम्ही सेवा करा. ॥ २ ॥